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Golden passport इतिहास की दुनिया का अति लघु उत्तरीय और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उत्तर 10th के लिए।

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  1. Golden passport इतिहास की दुनिया का अति लघु उत्तरीय और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उत्तर 10th के लिए। Golden passport

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Golden passport. प्रश्न 13 शहरों ने किन समस्याओं को जन्म दिया ?

उत्तर- शहरों में श्रमिकों की संख्या अधिक थी। चूँकि लोककल्याण की भावना की कमी थी, अतः इन शहरों ने नई समस्याओं को जन्म दिया जैसे बेराजगारी में वृद्धि, स्वास्थ्य संबंधी विषयों प्रति उदासीनता, प्रदूषण, यातायात संबंधी समस्याएँ आदि शहरों ने स्पद्धों और अवसरवाद जैसी नकारात्मक प्रवृति को जन्म दिया है जो संतुलित सामाजिक व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर।  (Golden passport)

प्रश्न 1. शहरीकरण की प्रक्रिया में व्यवसायी वर्ग, मध्यमवर्ग एवं मजदूर वर्ग की भूमिका की चर्चा करें।

उत्तर- शहरीकरण की प्रक्रिया में व्यवसायी वर्ग, मध्यमवर्ग एवं मजदूर वर्ग की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। व्यवसायी वर्ग नगरों के उद्भव का एक प्रमुख कारण व्यावसायिक पूँजीवाद के उदय के साथ संभव हुआ । व्यापक स्तर पर व्यवसाय, बड़े पैमाने पर उत्पादन, मुद्रा प्रधान अर्थव्यवस्था, गतिशील एवं प्रतियोगी अर्थव्यवस्था स्वतंत्र उद्यम, मुनाफा कमाने की प्रवृत्ति, मुद्रा, बैंक

आदि संवाओं के विस्तार ने शहरीकरण की प्रक्रिया को और अधिक तीव्र कर दिया। ये एक नए सामाजिक शक्ति के रूप में आए। लेसेजफेयर की नीति ने उन प्रक्रियाओं को बढ़ाने में सहायता प्रदान की।

मध्यमवर्ग शहरों के उद्भव में मध्यमवर्ग का महत्त्वपूर्ण योगदान था। एक शिक्षित वर्ग का अभ्युदय जहाँ विभिन्न पेशों में रहकर भी औसत एक समान आय प्राप्त करने वाले वर्ग के रूप में उभर कर आए एवं चुद्धिजीवी वर्ग के रूप में स्वीकार किए गए। अपने कार्यों के द्वारा शहरों अर्थव्यवस्था के विकास में अहम भूमिका अदा की।

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श्रमिक वर्ग- आधुनिक शहरों में जहाँ एक ओर पूँजीपति वर्ग का अभ्युदय हुआ वहीं दूसरी और श्रमिक वर्ग का सामंती व्यवस्था के अनुरूप विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग के द्वारा सर्वहारावर्ग का शोषण प्रारंभ हुआ जिसके परिणामस्वरूप शहरों में दो परस्पर विरोधी वर्ग उभर कर आए। अमिक वर्ग सुविधाविहीन वर्ग था जिनके पास रहने के लिए न तो आवास था

और खाने के लिए भोजन वे स्लम में अपना जीवन व्यतीत करते थे किंतु धीरे-धीरे उन वर्गों में जागरूकता आई और उचित मजदूरी और काम के घंटे के लिए आंदोलन शुरू हुए और अन्ततः एक सवल शक्ति के रूप में अर्थव्यवस्था व शहरीकरण में योगदान दिया।

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प्रश्न 2. एक औपनिवेशिक शहर के रूप में बम्बई शहर के विकास की समीक्षा करें।

उत्तर :- उन्नीसवीं शताब्दी के अंत तक बंबई का विस्तार तीव्रता से हुआ। शुरूआत में बंबई

सात रापुओं का इलाका था। जैसे जैसे आबादी बढ़ी, इन टापुओं को एक-दूसरे से जोड़ दिया गया। और इस तरह एक विशाल शहर अस्तित्व में आया। बम्बई औपनिवेशिक भारत की वाणिज्यिक राजधानी थी। एक प्रमुख बन्दरगाह होने के नाते यह अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का केन्द्र था जहाँ से कपास

और अफीम जैसे कच्चे माल बड़ी मात्रा निर्यात किए जाते थे। इस व्यापार के कारण न सिर्फ व्यापारी और महाजन बल्कि कारीगर एवं दुकानदार भी बंबई में बसे कपड़ा मिल खुलने पर और अधिक संख्या में लोग इस शहर की ओर उन्मुख हुए।

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बंबई एक घनी आबादी वाला शहर है। बम्बई का प्रति व्यक्ति क्षेत्रफल 9.5 वर्ग गज था। 1872 ई० में यहाँ प्रति मकान में 20 व्यक्ति रहते थे।

बम्बई का विकास सुनियोजित रूप से नहीं हो सका। बल्कि 1800 ई० के आसपास बम्बई फोर्ट शहर का केन्द्र था और दो हिस्सों में बंटा हुआ था। 

 

एक हिस्से में नेटिव रहते थे और दूसरे हिस्से में यूरोपीय या गोरे रहते थे। कोट आबादी के उत्तर में एक यूरोपीय उपनगर और औद्योगिक पट्टी भी विकसित होने लगी थी। दक्षिण में इसी तरह की उपनगरीय आबादी और एक छावनी थी। यह नस्ली विभाजन अन्य प्रसीडेंसी शहरों में भी रही

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शहर के अनियोजित विस्तार के कारण 1850 ई० तक शहर में आवास और जलापूर्ति की समस्या बंद हो चुकी थी जनसंख्या का दबाव आवासीय इलाकों में काफी बढ़ गया, जिससे बम्बई को 70 प्रतिशत लोग पनी आबादी वाले चालों में रहते थे.

में नगर योजना का काम प्लेग की महामारी के डर से किया गया। 1898 ई० में सिटी

ऑफ बाम्बे इम्पृवमेंट ट्रस्ट की स्थापना की गई। 1918 ई० में बंबई के मकानों के महंगे किराये की सीमित करने के लिए किराया कानून पारित किया गया। जमीन की कमी के कारण भी शहर के विस्तार से बम्बई में समस्या बढ़ी जिसे दूर करने के लिए भूमि विकास परियोजना लागू की गई। इस दिशा में सबसे पहली परियोजना 1784 ई० में शुरू की गई थी। Golden passport

बम्बई के गवर्नर विलियम हॉर्नवी ने इस समय विशाल तटीय दीवार बनाने के प्रस्ताव पर मंजूरी दी ताकि शहर के निचले इलाकं समुद्र की पानी के चपेट में आने से बच जाएँ।
एक सफल भूमि विकास परियोजना बम्बई पोर्ट एक्ट के अन्तर्गत शुरू की गई। ट्रस्ट ने 1914 ई० से 1918 ई० के बीच एक सूखी गोदी का निर्माण किया और उसकी खुदाई Golden passport

से जो मिट्टी निकली उसका इस्तेमाल करके 22 एकड़ का बालार्ड एस्टेंट बना डाला। इसके बाद मशहूर मैरीन ड्राईव बनाया गया।
शहर में अन्तर्विरोध के बावजूद शहर ऐसे लोगों को हमेशा आकर्षित करती है Golden passport

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जो स्वतंत्रता और नए अवसर की तलाश करते हैं, जिससे इन शहरों को सामाजिक और आर्थिक गतिशीलता मिलती है।

प्रश्न 3. शहरों के विकास की पृष्ठभूमि एवं उसके प्रक्रिया पर प्रकाश डालें। Golden passport

उत्तर:- शहर व्यक्ति को संतुष्ट करने के लिए अंतहीन संभावनाएँ प्रदान करता है। आधुनिक Golden passport

काल से पूर्व व्यापार एवं धर्म शहरों की स्थापना के महत्त्वपूर्ण आधार थे। ऐसे वे क्षेत्र थे जो मुख्य

व्यापार मार्ग अथवा पत्तन और बन्दरगाहों के किनारे बसे थे। कुछ ऐसे क्षेत्र थे जो धार्मिक स्थल

के रूप में भारी संख्या में भक्तों को आकर्षित करते थे तथा वे धार्मिक स्थल नगर अर्थव्यवस्था को

भी सुदृढ़ करते थे। Golden passport

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गाँव से शहरों का विकास एक प्रक्रिया है जो कई शताब्दियों तक फैली है। history 

मध्यकालीन सामंतो सामाजिक संरचना एवं मध्यकालीन जीवन मूल्य तेरहवीं शताब्दी तक अपने शिखर पर थे। कई प्रतिरोध के पश्चात् भी यह व्यवस्था लगभग सोलहवीं शताब्दी तक बना रहा। अंततः एक नई सामाजिक एवं राजनीतिक संरचना विकसित। history 

हुई जो अपनी परम्पराओं एवं स्वरूप के लिए प्राचीन परिपाटी के प्रति ऋणी तो थी किंतु नवीन राजनीतिक एवं आर्थिक अवधारणाओं को स्वीकार करतो

थी जो अधिक लौकिक थी एवं जिज्ञासु प्रवृत्ति से प्रेरित थी। इसी पृष्ठभूमि में शहरी जीवन का पुनः उदय हुआ।

कालांतर में ऐसे शहरों का विस्तार हुआ जिसमें भव्य परकोटों का निर्माण हुआ। ये शहर तथा इसके व्यस्त उद्यमी नागरिक भविष्य के द्रष्टा एवं अग्रदूत थे।

शहरीकरण की प्रक्रिया बहुत लम्बी रही है लेकिन आधुनिक शहर के उदय का इतिहास लगभग Golden passport history 

200 वर्ष पुराना है। तीन ऐतिहासिक प्रक्रियाओं ने आधुनिक शहरों की स्थापना में निर्णायक भूमिका

निभाई। (i) औद्योगिक पूँजीवाद का उदय (ii) विश्व के विशाल भूभाग पर औपनिवेशिक शासन

को स्थापना (iii) लोकतांत्रिक आदशों का विकास।

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प्रश्न 4. पटना नगर के विकास पर एक टिप्पणी लिखें। उत्तर :- प्राचीनकाल में पाटलिपुत्र के नाम से विख्यात यह एक महानगर था जिसको तुलना विश्व

के समकालीन सुप्रसिद्ध नगरों से की जाती थी। कालांतर में यह मगध साम्राज्य की राजधानी बना । मौर्यशासन काल के कंधार से कर्नाटक तक विस्तृत साम्राज्य की राजधानी इसी पाटलिपुत्र नगर में स्थित थी। इस नगर की आबादी उस समय 4 लाख थी। मौर्यकालीन राज प्रासाद के अवशेष दक्षिण पटना में स्थित कुम्हरार से प्राप्त हुए

गुप्तकाल में भी इस नगर का गौरव बना रहा। प्राचीनकाल में यह नगर शिल्प, कला, व्यापार history 

शिक्षा और सांस्कृतिक गातावधियों का प्रमुख केन्द्र था परंतु यह नगर पूर्व मध्यकाल में पतनशील

हो गया मध्ययुग में इस नगर के गौरव को अफगान शासक शेरशाह सूरी ने पुनस्थापित किया। मुगल यहाँका का निर्माण हुआ। इसी नगर में 1666 ई० में सिक्खों के दस और तम गुरु गोविन्द सिंह का जन्म हुआ जिस कारण यह नगर महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल बन गया