science विज्ञान के दीर्घ उतरिए प्रश्न उत्तर 10th एग्जामिनेशन 2023।को लेकर तैयारी।
science:-. जीवन-शैली संबंधित रोग
जोवन शैली का अर्थ है हमारे रहन-सहन का तरीका। यह शैली कई चीजों पर निर्भर है जैसे, हमारा सास्कृतिक परिवेश, शराब, धूम्रपान आदि की आदतें काम करना या बैठे रहना, खान-पान का ढंग, माँ-बाप, पास-पड़ोस के साथ हमारा व्यवहार स्कूल की शिक्षा, टीवी, अखबार इन्टरनेट मीडिया हमारी आर्थिक स्थिति, शिक्षा और हमारी आदतें ये सब मिलकर हमारी जीवन शैली का निर्माण करते हैं।
यदि हमें स्वस्थ रहना है
तो अपने और अपने आस-पास एक स्वस्थ जीवन शैली का निर्माण करना पड़ेगा। विभिन्न शोधों और अध्ययनों से पता चलता है कि हमारे स्वास्थ्य और हमारी जीवन-शैली के बीच बड़ा धनिष्ठ संबंध है। आपको शायद पता न हो दमा, मधुमेह, बढ़ता ह्रदयाघात, मुँह आँत और लीवर का कैंसर, मोटापा, फेफड़ों की बीमारी, गठिया,
ऑस्टियोआथाइटिस, ये सब बीमारियों हमारी जीवन शैली में हुए परिवर्तन के परिणाम है। आजकल कम उम्र में ही बड़ी संख्या में लोग हृदयरोग और कैंसर के शिकार होकर मृत्यु के मुँह तक पहुँच रहे हैं।
हमें ये सोचना जरूरी है कि कैसे जीवन शैली संबंधी रोगों को होने से रोका या टाला जा सकता है। कौन-कौन से रोग ऐसे हैं जिन पर हमारी जीवन शैली का प्रभाव पड़ रहा है। रोग विशेष से बचने के लिए हमें अपनी जीवन शैली में क्या परिवर्तन करने चाहिए? इन प्रश्नों का उत्तर हम इस अध्याय में ढूँढने की कोशिश करेंगे।
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उद्देश्य:-
इस पाठ के अध्ययन के पश्चात् आप
अनियमित जीवन शैली से उत्पन्न होने वाले रोगों को पहचान कर सूचीबद्ध कर सकेंगे. जीवन शैली से उत्पन्न होने वाले विभिन्न रोगों के लक्षणों की पहचान कर सकेंगे, इन रोगों को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों को सूचीबद्ध कर सकेंगे.
रोगों के रोकथाम और उपचार के लिए जीवन शैली में उचित परिवर्तन कर सकेंगे,
रोगों की रोकथाम के लिए सही सुझाव दे पायेंगे।
आइए ऐसे कुछ आम (Common) व्याधियों की चर्चा करें
5.1 कॉरोनरी हृदय रोग (Coronory Heart Disease)
यों तो दर्जनों रोग है जो हमारी जीवन शैली की अस्त-व्यस्तता या कहें कि बदलते परिवेश के साथ या बदलती जीवनशैली के साथ शरीर का संतुलन न बैठा पाने के कारण है पर इसमें सबसे घातक है हमारी हृदय धमनियों का उत्तरोतर संकीर्ण होते जाना। हमारी धमनियों में वसा और कॉलेस्टेरॉल की एक परत उनकी दीवारों पर उत्तरोत्तर जमा होने लगती है
और धमनियों का लचीलापन खत्म होकर सख्त होने लगता है। साथ ही वह संकीर्ण भी होती जाती है. इसे हम एथेरास्क्लेरोसिस या रक्तवाहिनीदृढण कहते हैं। उच्च रक्तचाप तथा मधुमेह के रोगियों में यह अधिक तेजी से होता है तथा उम्र बढ़ने के साथ लगातार बढ़ता जाता है।
(1) इसे हम ऐसे समझें कि हमारी हृदय धमनी
(कॉरोनरी आर्टरी) में व्यवधान उत्पन्न हो जाता है, जिससे हृदय क्रिया सामान्य नहीं रहकर विकृत हो जाती है जो अन्ततः हृदयाघात के रूप में प्रकट होता है ।। यह हमारी असंतुलित जीवन-शैली और मनोवैज्ञानिक तनाव के साथ गहराई से जुडा है।
(2) हृदय रोगों खासकर हृदय रक्तवाहिनी जन्य रोगों (Cardio Vascular Diseases) में हृदय का संकुचन अपनी नियमितता खो देता है, जिससे हृदय में एरिदमिया उत्पन्न होता है और हृदयगति सामान्य नहीं रह जाती है। हमारे शोध संस्थानों के अनवरत शोध से पता चलता है
कि हृदय रोगों के होने का कारण तथा इसके होने में सहायक कारक कौन-कौन से हैं। इसकी चर्चा हम आगे करेंगे। पर हमें यह जानना चाहिए कि ये कारक दो तरह के हैं कुछ तो ऐसे हैं जो हमारी जीवन-शैली में परिवर्तन के साथ बदल सकते हैं, पर कुछ ऐसे हैं, जिनमें हम कोई परिवर्तन नहीं ला सकते।
परिवर्तनीय कारक
धुम्रपान, शराब, उच्च रक्तचाप, कॉलेस्टेरॉल का स्तर, मधुमेह, मोटापा, शारीरिक श्रम में कमी, बढ़ता मानसिक तनाव। ये सब कुछ ऐसे कारक हैं, जिन्हें हम अपनी इच्छा-शक्ति और जीवन-शैली में परिवर्तन लाकर बदल सकतें है।
अपरिवर्तनीय कारक
जैसे बढ़ती उम्र, लिंग, पारिवारिक संकट आनुवांशिक प्रभाव को हम चाहकर भी बदल नहीं सकते। आइए! अब हम इन कारकों के बारे में अलग-अलग विस्तार से जानें
(1) धूम्रपान कम उम्र में कॉरोनरी हृदय रोग उत्पन्न करने में इसकी दूसरी प्रमुख भूमिका है। धूम्रपान से धमनिगत स्कलेरोसिस (कड़ा हो जाना) की प्रक्रिया अधिक तीव्र हो जाती है। 65 वर्ष से कम उम्र
में होने वाले हृदयाघात के 25% केस में यह मुख्य रूप से उत्तरदायी है। (2) उच्च रक्तचाप उच्च रक्तचाप के कारण हृदय से निकलने वाली रक्तवाहिनी नलिकाओं में कई
तरह की जटिलतायें उत्पन्न होती है।
(3) रक्त में कॉलेस्टेरॉल की उच्च मात्रा- रक्त में कॉलेस्टेरॉल का बढ़ना हृदयाघात के खतरे को बढ़ा देता है, खासकर LDL & VLDL (कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन) । यद्यपि उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (HDL) हृदयघात की संभावना को कम करता है। कॉलेस्टेरॉल और एचडीएल के अनुपात को 3.5 से कम रखने पर कॉरोनरी हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है।
(4) डायबिटीज (मधुमेह) मधुमेह वाले मरीजों में हृदयाघात का खतरा सामान्य से 3 गुणा अधिक
रहता है। विकसित देशों के आंकड़े बताते हैं कि 40 वर्ष से अधिक उम्र के मधुमेह के रोगियों में 30%
से 40% रोगी हृदयाघात के कारण ही मरते हैं।
(5) मोटापा विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि मोटी महिलाओं (पुरूष भी) में कॉरोनरी हृदय रोग का खतरा 3 से 4 गुणा अधिक रहता है। शरीर के स्टैण्डर्ड भार से अधिक प्रति एक किलोग्राम वजन हृदयाघात के खतरे को 4 प्रतिशत बढ़ा देता है।
(6) शारीरिक श्रम की कमी – विज्ञानजन्य सुविधाओं के बढ़ते प्रयोग से हमारी जीवन शैली सुविधापरस्त
हो गई है। हम शरीर से श्रम बहुत कम करते हैं इससे मोटापा, रक्तचाप और फिर हृदयाघात क
संभावना बढ़ जाती है। शरीर से श्रम या व्यायाम करने से शरीर में LDL की कमी और HDL की वृद्धि
होती है, ऐसे में हृदयाघात की संभावना भी कम हो जाती है।
(7) तनाव ऐसा देखा गया है
कि बेचैन रहने वाले, धैर्यहीन लोग जो हमेशा उतेजना में रहते हैं अ तत्काल परिणाम की अपेक्षा रखते हैं, उनमें कॉरोनरी हृदय रोग अधिक होता है। इसके अला अत्यधिक परिश्रम और नींद की कमी भी इसके सहायक हैं। इनकी तुलना में शान्त और सहज जी जीने वाले लोग कम प्रभावित होते देखे गये हैं।
कॉरोनरी हृदय रोग (CHD) का निवारण
(1) आहार में परिवर्तन
(3) अपने भोजन में वसा का प्रयोग कम करें खासकर संतृप्त वसा (Saturated fat) वाले पदार्थ लें । संतृप्त वसा में कॉलेस्टेरॉल की मात्रा अधिक रहती है।
जीवन-शैली संबंधी रोग (Lifestyle Diseases)
(b) आहार में रेशेदार चीजों की मात्रा बढ़ाये जैसे फल, सब्जिया, संपूर्ण अनाज तथा फलियाँ ।
(c) शराब का सेवन न करें।
(d) प्रतिदिन 5 ग्राम से अधिक नमक अपने भोजन में न लें।
(c) अगर मधुमेह के रोगी है तो आहार को संयम औषधि तथा श्रम के सहारे नियंत्रित रखें।
(2) धूम्रपान हमें खुद भी धूम्रपान नहीं करना चाहिए तथा दूसरों को भी धूम्रपान के लिए हतोत्साहित
करना चाहिए। हमें यह मालूम होना चाहिए कि पैसिव स्मोकिंग का खतरा भी खुद धूम्रपान करने के ही बराबर है।
(३)
उच्च रक्तचाप हमारे अध्ययन यह बताते हैं कि उच्च रक्तचाप, हृदय रोगों में कई तरह की जटिलतायें पैदा करता है। यदि औसत रक्तचाप में थोड़ी भी कमी की जा सके तो हृदय रोगों की
बहुत सी जटिलताओं से बचा जा सकता है। इसके लिए हमें
नमक का प्रयोग कम करना चाहिए। शराब के सेवन से बचना चाहिए।
शरीर का वजन कम करना चाहिए।
चिकित्सक की सलाह के अनुसार नियमित दवा भी लेनी चाहिए।
(4) शरीर श्रम प्रतिदिन का नियमित व्यायाम हमारी दिनचर्या में शामिल होना चाहिए। यह हमारे मोटापा, रक्तचाप, कॉलेस्टेरॉल का स्तर, मधुमेह, सबको नियंत्रित करने में सहायक है।.
पाठगत प्रश्न 5.1
निम्नलिखित वाक्य सही हैं या गलत है, लिखिए
1) जीवन-शैली संबंधी रोग लोगों का अपने पर्यावरण के साथ अनुपयुक्त संबंधों का परिणाम है।
()
2) जीवन-शैली संबंधी रोग संक्रामक होते हैं।
( )
3) कॉरोनेरी हृदय रोग के प्रमुख जोखिम कारक हैं- उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, मोटापा,
मधुमेह ।
■ शारीरिक व्यायाम की कमी कॉरोनरी हृदय रोग से संबंधित है।
उच्च रक्तचाप (Hypertension)
रक्तचाप का अर्थ है-हमारी धमनियों में तीव्र रक्त दाब हमारे हृदय से रक्तवाहिनी नलियाँ निकलती | है जो रक्त को एक खास दबाब पर हमारे ऊतकों तक पहुंचाती है। सामान्यतः यह 120/80 mmHg रहता जो सामान्य माना जाता है। इससे अधिक 140/90 तक यह उच्च रक्तचापोन्मुख अवस्था कहलाता है। 150/ 90 से ऊपर के रकाचाप को हम उच्च रक्तचाप मानते हैं। इसमें ऊपरी भाग सिस्टोलिक रक्तचाप है। तो नीचे का डायस्टोलिक रक्तचाप। सिस्टोलिक रक्तचाप हृदय के संकुचन के समय धमनियों में मौजूद है तथा डायस्टोलिक रक्तचाप हृदय के शिथिलन के समय का रक्तचाप है।
वर्गीकरण
(1) अनिवार्य उच्च रक्तचाप (Essential Hypertension)
जब हमें उच्च रक्तचाप का स्पष्ट कारण पता नहीं होता तो उसे हम प्राइमरी या एसेन्शियल उच्च रक्तचाप कहते हैं। उच्च रक्तचाप के 80 से 90 प्रतिशत मामले इसी श्रेणी में आते हैं।
2) द्वितीयक उच्च रक्तचाप (Secondary Hypertension) जब किसी अन्य रोग प्रक्रिया या स्पष्ट कारणों से रक्तचाप अधिक हो तो उसे सेकेन्डरी उच्च रक्तचाप कहते हैं।
व्यापकता
औद्योगिक देशों में 25 प्रतिशत वयस्कों में रक्तचाप अधिक पाया जाता है। शहरों में लगभग प्रति 100 पुरुषों में से 60 में तथा 100 महिलाओं में से 70 को उच्च रक्तचाप है। वहीं गाँवों में दोनों में इसकी औसत संख्या 36 प्रतिशत है। science
उच्च रक्तचाप से उत्पन्न होने वाली जटिलताएं
उच्च रक्तचाप के कारण कई जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं. science
(1) स्ट्रोक मस्तिष्काघात
(b) कॉरोनरी हृदय रोग
(c) हृदय शैथिल्य (Heart Failure)
(d) गुर्दा शैथिल्य (Kidney Failure)
(e) आँखों में क्षति (Retinal Haemorrhage) दृष्टि पटल संकुचन आदि । science
रक्तचाप जितना अधिक होता है जटिलताएं भी उतनी ही अधिक होती है। बहुधा व्यक्ति मृत्यु का शिकार
()
उच्च घनत्व लिपोप्रोटीन (HDL) के बढ़े स्तर के कारण कॉरोनरी हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती science
उच्च रक्तचाप (Hypertension)
रक्तचाप का अर्थ है-हमारी धमनियों में तीव्र रक्त दाब हमारे हृदय से रक्तवाहिनी नलियाँ निकलती | है जो रक्त को एक खास दबाब पर हमारे ऊतकों तक पहुंचाती है। सामान्यतः यह 120/80 mmHg रहता जो सामान्य माना जाता है। इससे अधिक 140/90 तक यह उच्च रक्तचापोन्मुख अवस्था कहलाता है। 150/ 90 से ऊपर के रकाचाप को हम उच्च रक्तचाप मानते हैं। इसमें ऊपरी भाग सिस्टोलिक रक्तचाप है। science
तो नीचे का डायस्टोलिक रक्तचाप। सिस्टोलिक रक्तचाप हृदय के संकुचन के समय धमनियों में मौजूद है तथा डायस्टोलिक रक्तचाप हृदय के शिथिलन के समय का रक्तचाप है। science
वर्गीकरण
(1) अनिवार्य उच्च रक्तचाप (Essential Hypertension)
जब हमें उच्च रक्तचाप का स्पष्ट कारण पता नहीं होता तो उसे हम प्राइमरी या एसेन्शियल उच्च रक्तचाप कहते हैं। उच्च रक्तचाप के 80 से 90 प्रतिशत मामले इसी श्रेणी में आते हैं। science
2) द्वितीयक उच्च रक्तचाप (Secondary Hypertension) जब किसी अन्य रोग प्रक्रिया या स्पष्ट कारणों से रक्तचाप अधिक हो तो उसे सेकेन्डरी उच्च रक्तचाप कहते हैं। science
व्यापकता
औद्योगिक देशों में 25 प्रतिशत वयस्कों में रक्तचाप अधिक पाया जाता है। शहरों में लगभग प्रति 100 पुरुषों में से 60 में तथा 100 महिलाओं में से 70 को उच्च रक्तचाप है। वहीं गाँवों में दोनों में इसकी औसत संख्या 36 प्रतिशत है। science
उच्च रक्तचाप से उत्पन्न होने वाली जटिलताएं
उच्च रक्तचाप के कारण कई जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं.
(1) स्ट्रोक मस्तिष्काघात
(b) कॉरोनरी हृदय रोग
(c) हृदय शैथिल्य (Heart Failure)
(d) गुर्दा शैथिल्य (Kidney Failure)
(e) आँखों में क्षति (Retinal Haemorrhage) दृष्टि पटल संकुचन आदि । science
रक्तचाप जितना अधिक होता है जटिलताएं भी उतनी ही अधिक होती है। बहुधा व्यक्ति मृत्यु का शिकार हो जाता है