Ahindi 10th क्लास के 2023 परीक्षार्थियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर दिए गए हैं।
Ahindi. 1.निम्नांकित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे लिखें प्रश्नों के उत्तर दे।
एक अरब तक हो जायेगी। दुनियाभर में तम्बाकू से होनेवाली कुल मौत तम्बाकू के दुष्प्रभावों से आज भारत ही नहीं विश्व के अनेक देश स्वतित हैं। इक्कीसवीं सदी में तम्बाकू के लत से मरनेवालों को संख्या 1 से 80 प्रतिशत मीरों निम्न व मध्यम आय वाले देशों में होगी।
तम्बाकू से बने उत्पादों में सिगरेट की माँग सबसे ज्यादा है। यह फूल बिक्री का 90 प्रतिशत है। युवा वर्ग इसका सर्वाधिक सेवन कर रहा है। गरीब देशों बच्चों और किशोरों में भी यह काफी प्रचलित है। यदि इस स्थिति पर नियंत्रण नहीं किया गया तो वर्ष 2017 तक तम्बाकू का वैश्विक बाजार
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25 प्रतिशत से बढ़कर 600 अरब डालर का हो जायेगा। तम्बाकू के शौकीनों में 25 प्रतिशत सिगरेट से मृत्यु का शिकार होते है और शेष विभिन्न प्रकार को तम्बाकू जनित व्याधियों से युवावस्था में
ही पीड़ित हो जाते हैं। यह वह अवस्था है जब व्यक्ति अपने परिवार और समाज के विकास में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे सकता है। वर्ष 2017 तक तम्बाकू के कारण विश्व भर में 65 लाख लोग प्रतिवर्ष मृत्यु का शिकार होंगे। इसमें 72 प्रतिशत गरीब देशों के होगे। 1960 से लेकर अब तक विश्वभर में तम्बाकू उत्पादन में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
भारत और चीन को मिलाकर लगभग 5 से 6 करोड़ लोग तम्बाकू उत्पादों का सेवन करते हैं। 20वीं शताब्दी में विश्वभर में 10 करोड़ लोगों की मौत तम्बाकू से हुई थी तथा 21वीं शताब्दी में एक अरब लोग इसका शिकार बन सकते हैं। चीन में 30 प्रतिशत लोग धूम्रपान करते हैं। भारत में 15
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प्रतिशत लोग धूम्रपान करते हैं। प्रश्न (क) इक्कीसवीं सदी में तत्बाकू की लत से मरने वालों की
संख्या कितनी हो जाएगी?
(ख) यदि तम्बाकू सेवन पर नियंत्रण नहीं किया गया तो वर्ष 2017 तक विश्वभर में प्रति मिनट सिगरेट की खपत कितनी हो जायेगी।
(ग) 2017 तक तम्बाकू का वैश्विक बाजार कितना प्रतिशत बढ़कर कितने डालर का हो जाएगा?
(घ) भारत और चीन को मिलाकर कितने लोग तम्बाकू का
सेवन करते हैं?
(ङ) भारत एवं चीन में कितने-कितने प्रतिशत लोग धूम्रपान करते हैं?
उत्तर : (क) इक्कीसवीं सदी में तम्बाकू के लत से मरनेवालों की संख्या एक अरब तक हो जायेगी।
(ख) यदि नियंत्रण नहीं किया गया तो वर्ष 2017 तक विश्वभर में प्रति मिनट एक करोड़ 25 लाख सिगरेट की खपत हो जाएगी। (ग) वर्ष 2017 तक तम्बाकू का वैश्विक बाजार 25 प्रतिशत से बढ़कर600 अरब डॉलर का हो जाएगा।
(घ) भारत और चीन को मिलाकर लगभग 5 से 6 करोड़ लोग तम्बाकू का सेवन करते है।
(ङ) भारत एवं चीन में क्रमश: 15 प्रतिशत और 30 प्रतिशत लोग धूम्रपानका सेवन करते हैं।
2. निम्नांकित गद्याश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे लिखें प्रश्नों के उत्तर दें।
हमारी धरती ने बापू को जन्म दिया, किन्तु इस धरती को यह सौभाग्य
हुआ कि जो महापुरुष देश की पराधीनता की बेड़ियाँ काटे और देश
की प्रतिष्ठा को संसार में ऊँचा से जाये, उसका हम स्वागत कर सके।
वह अपने द्वारा प्रतिष्ठापित स्वतंत्र राष्ट्र में जीवित रहकर विश्वशांति और
बन्धुत्व का अपना सपना पूरा कर सके। महात्मा जो को इससे अच्छी
मृत्यु क्या मिल सकती थी कि मानवता की रक्षा करते हुए 1948 ई० को
उन्होंने प्राण त्याग दिये ?
प्रश्न (क) महात्मा जी ने हमारे लिए क्या किया? (क) रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए।
(क) क्या महात्मा जी विश्वशान्ति और विश्वबन्धुत्व का अपना सपना पूरा कर सके ?
(क) महात्मा जी को कैसी मृत्यु मिली?
(ङ) उनकी मृत्यु कब हुई?
उत्तर : (क) महात्मा गाँधीजी ने भारत को पराधीनता को बेड़ियाँ काटकर
आजाद कराया। ख) प्रतिष्ठा इज्जत
विश्वबन्धुत्व – पूरे विश्व के साथ मित्रता का भाव
(ग) अनुच्छेद के अनुसार महात्मा गाँधी ने अपने द्वारा प्रतिष्ठापित स्वतंत्र
भारत में जोकर विश्वशांति और विश्वबन्धुत्व का अपना सपना पूरा
कर लिया। (घ) महात्मा जी मानवता की रक्षा करते हुए अपने प्राण त्याग दिये। (ङ) उनकी मृत्यु 1948 ई० को हुई।
3. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिन्दुओं
के आधार पर लगभग 250-300 शब्दों में निबंध लिखें : (क) विज्ञान वरदान या अभिशाप
(i) भूमिका (iii) विज्ञान से लाभ
(ii) विज्ञान का महत्व (iv) विज्ञान से हानि
(v) उपसंहार
(ख) प्रदूषण (i) भूमिका
(ii) प्रदूषण के कारण
(iii) प्रदूषण के परिणाम (v) उपसंहार
(iv) बचाव का उपाय
(ग) होली
(i) भूमिका (iii) पौराणिक कथा
(ii) होली का महत्त्व (iv) होली की विशेषता
(v) उपसंहार
(घ) बढ़ती महंगाई
(i) भूमिका (iii) महँगाई के कारण
((ii) महंगाई की वर्तमान स्थिति
(iv) महँगाई का जन-जीवन पर प्रभाव (v) उपसंहार
(ङ) देशभक्ति
(i) भूमिका
(ii) देशभक्ति क्यों
(iii) महत्व
(iv) उपसंहार।
(क) विज्ञान वरदान या अभिशाप भूमिका विज्ञान एक शक्ति है, जो नित नए आविष्कार करती है। यह
शक्ति न तो अच्छी है न बुरो अगर हम उस शक्ति से मानव कल्याण
के कार्य करें तो वह ‘वरदान’ प्रतीत होती है। अगर उसी से विनाश करना
शुरू कर दें तो वह ‘अभिशाप’ बन जाती है।
विज्ञान का महत्व-विज्ञान ने अंधों को आँखें दी है, बहरों को सुनने की ताकत। लाइलाज रोगों की रोकथाम को है तथा अकाल मृत्यु पर विजय पाई है। विज्ञान की सहायता से यह युग बटन-युग बन गया। है। बटन दबाते ही वायु-देवता हमारी सेवा करने लगते हैं. इंद्र देवता वर्षा करने लगते हैं, कहीं प्रकाश जगमगाने लगता है
तो कहाँ शीत-उष्ण वायु के झोंके सुख पहुँचाने लगते हैं। वर्तमान युग में विज्ञान के द्वारा मनुष्य के भौतिकवादी सुविधाओं में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। परमाणु ऊर्जा, कम्प्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन आदि की सुविधा उपलब्ध हुई है। परिवहन के द्रुत साधन उपलब्ध हुए हैं।
विज्ञान से लाभ विज्ञान ने अंधों को आँखें दो है बहरों को सुनने की ताकत लाइलाज रोगों की रोकथाम की है तथा अकाल मृत्यु पर विजय पाई है। विज्ञान की सहायता से यह युग बटन युग बन गया है। बटन दबाते हो वायु-देवता हमारी सेवा करने लगते हैं
. इंद्र देवता वर्षा करने लगते है, कहाँ प्रकाश जगमगाने लगता है तो कहाँ शीत-उष्ण वायु के झोके सुख पहुँचाने लगते हैं। बस गाड़ी वायुयान आदि ने स्थान की दूरी को बाँध दिया है।
टेलीफोन द्वारा हम सारी वसुधा से बातचीत करके उसे वास्तव में कुटुम्ब बना लेते हैं। हमने समुद्र की गहराइयाँ भी नाप डाली है और आकाश की ऊंचाइयों भी हमारे टी.वी. रेडियो वीडियो
में मनोरंजन के सभी साधन कैद हैं। सचमुच विज्ञान ‘वरदान’ हो तो है। विज्ञान से हानि मनुष्य ने जहाँ विज्ञान से सुख के साधन जुटाए है. वहाँ दुख के अंबार भी खड़े कर लिए हैं। विज्ञान के द्वारा हमने अणु बम, परमाणु बम तथा अन्य ध्वंसकारी शस्त्रास्त्रों का निर्माण कर लिया है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि अब दुनिया में इतनी विनाशकारी सामग्री इकट्ठी हो चुकी है कि उससे सारी पृथ्वी को अनेक बार नष्ट किया जा सकता है।
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इसके अतिरिक्त प्रदूषण की समस्या बहुत बुरी तरह फैल गई है। नित्य नए असाध्य रोग पैदा होते जा रहे है, जो वैज्ञानिक उपकरणों के अंधाधुंध प्रयोग करने के दुष्परिणाम हैं।
वैज्ञानिक प्रगति का सबसे बड़ा दुष्परिणाम मानव मन पर हुआ है। पहले जो मानव निष्कपट था. निस्वार्थ था, भोला था, मस्त और बेपरवाह था वह अब छली, स्वार्थी, चालाक, भौतिकतावादी तथा तनावग्रस्त हो गया है। उसके जीवन में से संगीत गायब हो गया है, धन की प्यास जाग गई है। नैतिक मूल्य नष्ट हो गए हैं।
उपसंहार वास्तव में विज्ञान को वरदान या अभिशाप बनाने वाला
मनुष्य है। उसे वरदान या अभिशाप बनाना मानव के हाथ में है। इस
संदर्भ में एक उक्ति याद रखनी चाहिए विज्ञान अच्छा सेवक है लेकिन
बुरा हथियार।”
(ख) प्रदूषण
भूमिका मनुष्य प्रकृति की सर्वोत्तम सृष्टि है। जब तक यह प्रकृति के कामों में बाध नहीं डालता तब तक इसका जीवन स्वाभाविक गति से चलता है।
किन्तु इभर औद्योगिक विकास के लिए इसने प्रकृति से अपना तालमेल समाप्त कर लिया है।
नतीजा यह है कि जितनी ही तेजी से उद्योग चढ़ रहे हैं. प्रकृति में धुआं गंदगी और शोर से प्रदूषण उतनी ही तेजी से बढ़ता जा रहा है।
यह खतरे की घंटी है।प्रदूषण के कारण पुग त्रायों रेल तथा कल-कारखानों पर ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा है। परिणामस्वरूप के कारण कार्बन मोनोसाइड की मात्रा बढ़ गई है और ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है।गौरतल है
कि 860 किलोमीटर चलने पर एक मोटर जितनी ऑक्सीजन का प्रयोग करता है,उतनी ऑक्सीजन मनुष्य को एक वर्ष के लिए चाहिए हवाई जहाज, लोक चीनी मिट्टी, चमदा आदि कारखानों में ईंधन जलने से जो धुआँ होता है
,उससे अधिक प्रदूषण होता है। पनी आबादी वाले शहर इससे ज्यादा प्रभावित होते है। टाकिया में तो कार्य पर तैनात सिपाही के लिए जगह-जगह पर ऑक्सीजन